सना का अचानक से हँस जाना,
हुज़ेफ़ा का ऑब्जर्वेशन में कूद जाना,
जिग्नेश का बातों में घूम जाना,
मनीषा का प्यारा सा मुस्कुरा जाना,
सुनील का गहराई से महसूस कर जाना,
गुरु का धीरे-धीरे बोलते हँस जाना,
राहुल का हर तारीफ पर शर्मा जाना,
समीर का आंख बंद कर कहीं खो जाना,
वैभव का कुछ-कुछ बातों में आगे आना, फिर वापस चले जाना,
शिवांगना का स्पष्ट शब्दों में बातें बोल जाना,
विक्रम का "वी" सुनते ही सामने आ जाना,
कुछ ऐसे ही किस्सो का यहां और अभी से वहां और फिर हो जाना,
इस सफर के हर हमसफर से एक रिश्ता ऐसे जुड़ जाना,
जेसे खुद से खुद का मिल जाना...!
इस यात्रा और सहयात्री बनने के लिए आपकी आभारी हूं! 😇🤗🌼
Bhavita
8 Oct 2024
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